Dilip Kumar on Dev Anand’s death – (In Hindi)
सिनेमा में दखल के मसले पर देव मुझसे महज एक बरस जुनियर थे। चालीस दशक के मध्य में हम तीनों यानी राज,देव व मैंने तकरीबन एक साथ फिल्मों में कदम रखा। वो भी क्या दिन थे…आज भी आंखों के सामने हैं।
काम की तालाश में बाम्बे की लोकल में इधर-उधर फिरने के दिन। देव भी अक्सर साथ हुआ करते थे। थोडे ही दिनों में हमारे बीच दोस्ती पनप चुकी थी। वो घर के सदस्य बराबर थे…नासिर से उनकी मुझसे भी ज्यादा बनती थी।
दशक के पूरे होने तक हमने फिल्मों में मजबूत आधार हासिल कर लिया था। शहीद अंदाज व बरसात से राज व मेरी पहचान सितारों में होने लगी । हमारे सामानांतर बाज़ी व जिददी सरीखा फिल्मों ने देव को भी सितारों में बिठा दिया। शुरु के जमाने से ही देव व मेरे दरम्यान एक पेशेवर तालमेल कायम रहा। पेशेगत मजबूरियों के नाम हमने दोस्ती का अदब नहीं भुलाया। हमने एक दोतरफा रिश्ता बनाया…एक शांत व अनकही संहिता को हमने निभाया।

Dilip Kumar, Raj Kapoor, Dev Anand
एक दूसरे की इज्जत करना हम बखूबी जानते थे। राज देव और मेरे बीच मिलना-जुलना बराबर होता रहा। हम एक दूसरे के काम के ऊपर सकारात्मक चर्चाएं करते थे। एक दूसरे से पेशेवर अनुभव शेयर करना हमने सीख लिया था। उन हास्य-व्यंग्य के पलों को नहीं भूला नहीं सकता जब राज देव व मेरी दिलचस्प नक्ल किया करते। वो बेहद खुबसूरत पल थे…क्योंकि हम विरोध नहीं बल्कि रोचक प्रतिस्पर्धा में जी रहे थे। हर कलाकार व तकनीशियन का सहयोग व समर्थन करना देव की एक बडी खासियत थी।
उनके कातिलाना रंग-रूप का जवाब नहीं था। देव की मुस्कान का रुमानी अंदाज आज भी सबसे दिलकश नजर आता है। जब कभी आपको उपयुक्त कथा व काबिल फिल्मकार मिला …कमाल कर दिखाया। इस सिलसिले में देव की काला पानी असली नकली एवं गाईड की तारीफ करनी होगी। फिल्म में रूमानी दृश्यों को खूबसुरती से अंजाम देने में देव साहेब सबमें अव्वल थे।

Dev Anand, Dilip_Kumar in Insaniyat
जेमनी की महान प्रस्तुति ‘इंसानियत’ में एक साथ काम करने का सुनहरा अवसर मिला। एस एस वासन की यह शाहकार राजसी नाट्कीयता समेटे हुए थे। देव की हृदयता का आलम देखें कि मेरी तारीखों से मेल करने वास्ते खुद की फिल्म शुटिंग स्थगित कर दी थी। मेरी अनुभव रहा कि देव जुनियर कलाकारों को लेकर भी बडे दरियादिल थे।
आपने कभी किसी की मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया… परफेक्ट शाट निकालवने के लिए टेक पर रिटेक मंजूर था। इस तरह उन गुमनाम कलाकारों में आत्मविश्वास का भाव हो जाता। एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना हमारी प्राथमिकताओं में था। देव की बहन की शादी में गया। फिर बिटिया देविना के ब्याह में भी शामिल हुआ।

Dilip, Dev, Raj with PM Jawaharlal Nehru
मिलने जुलने का मसला हम दोनों के बीच नहीं था। याद आ रहा कि मेरी शादी में देव पत्नी मोना को लेकर आए थे। दोनों ने हमारी रश्मों को देखा। सिर्फ यही नहीं हमारे दौलतखाना पाली हिल की बाकी मजलिसों में भी देव का आना होता था। हम दोनों एक परिवार की तरह थे। मधुर रिश्तों के बीच हम पेशागत बोझ को नही लाते थे।
हम पंडित नेहरू से यादगार मुलाकात को नहीं भुला सकते। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुझे राज व देव को मिलने बुलाया था। देश समाज व सिनेमा पर हमसे बातें हुई। तीनों ने अपने विचार रखे। देव आनंद को जिस स्नेह से मैं देव बुलाया करता था। वो भी मुझे ‘लाले’ कह कर संबोधित करते… देव के निधन ने झकझोर दिया है। लंदन से युं अचानक आई खबर ने दिल को गहरा सदमा दिया है।

At one of Dilip’s birthday.
89 वें जन्मदिन पर बुलाया था… सोंचा था कि देव का आना होगा। वो आएगा… सीने से लगाकर कहेगा ‘लाले तु हज़ार साल जीएगा’ । यह मेरा सबसे गमगीन जन्मदिन होगा… कहां गए देव मुझे छोडकर …..
(दिलीप कुमार)
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